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इंकार को समझो कभी इक़रार को समझो जैसे भी हो ऐ दोस्त मेरे प्यार को समझो माना कि बहुत खास है तनहाई तुम्हारी बाज़ार में आए हो तो बाज़ार को समझो सब झूठ लिखा है तो कोई सच भी मिलेगा अख़बार से भागो नहीं अख़बार को समझो मिट जाए न देखो कहीं पुरखों की निशानी दस्तार बड़ी चीज़ है दस्तार को समझो नुकसान बहुत होता है अश्कों की नमी से गिर जाए न ये सब्र की दीवार को समझो